जर्मनी के विपक्षी दल सीडीयू के नेता फ्रेडरिक मेर्ज़ एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं, लेकिन इस बार आलोचना उनके अपने ही परिवार से आई है। मेर्ज़ की दोनों बेटियों ने अपने पिता की उस टिप्पणी की खुलकर आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि “जर्मन नागरिकों को अनुत्पादक लोगों से अधिक सरकारी सहायता मिलनी चाहिए।”
पारिवारिक विद्रोह
मेर्ज़ की बेटियों सारा और जोहाना ने सोशल मीडिया पर अपने पिता की टिप्पणी को “मानवीय गरिमा के विरुद्ध” बताया। सारा ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हर इंसान की गरिमा और अधिकार समान हैं, चाहे वह कहीं का भी हो।” जोहाना ने ट्विटर पर स्पष्ट किया, “मेरे पिता के विचार मेरे अपने विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।”
विवादास्पद बयान
मेर्ज़ ने पिछले सप्ताह एक राजनीतिक रैली में कहा था, “जर्मन करदाताओं का पैसा उन लोगों पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए जो समाज के लिए कुछ उत्पादन नहीं करते।” हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर प्रवासियों का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी जर्मनी में रह रए प्रवासियों के लिए ही थी।
राजनीतिक भूचाल
इस टिप्पणी ने जर्मन राजनीति में तूफान ला दिया है:
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चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कहा, “यह बयान जर्मन संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के विपरीत है”
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हरित दल के नेता ओमिड नौरीपुर ने इसे “शर्मनाक” बताया
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एसपीडी के महासचिव केविन कुह्नेर्ट ने कहा, “मेर्ज़ समाज को विभाजित कर रहे हैं”
ऐतिहासिक संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब मेर्ज़ विवादों में घिरे हैं:
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2022 में उन्होंने “अन्य संस्कृति के लोगों” के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थी
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2023 में उन्होंने सामाजिक सहायता लेने वालों को “आलसी” बताया था
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इस साल जनवरी में उनकी “दो-वर्ग समाज” की टिप्पणी भी सुर्खियों में रही
सामाजिक प्रतिक्रिया
जर्मन नागरिक समाज संगठनों ने इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की है:
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“प्रो एज़ाइल” संगठन ने कहा, “यह बयान मानवाधिकारों का उल्लंघन है”
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“जर्मन इमिग्रेंट्स फाउंडेशन” ने इसे “घृणा फैलाने वाला” बताया
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सामाजिक कार्यकर्ताओं ने #HumanDignityForAll हैशटैग के तहत अभियान चलाया
राजनीतिक प्रभाव
विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद:
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सीडीयू पार्टी में ही मतभेदों को उजागर करेगा
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आगामी राज्य चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है
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जर्मन राजनीति में सामाजिक न्याय की बहस को नई दिशा देगा
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूरोपीय संघ के अन्य देशों ने भी इस टिप्पणी पर चिंता जताई है:
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फ्रांस के राष्ट्रपति ने “मानवीय मूल्यों” की याद दिलाई
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पोलैंड के प्रधानमंत्री ने “एकता की जरूरत” पर जोर दिया
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यूरोपीय आयोग ने “समानता के सिद्धांत” की बात कही
निष्कर्ष
फ्रेडरिक मेर्ज़ की यह टिप्पणी न सिर्फ राजनीतिक बहस का विषय बन गई है, बल्कि एक पारिवारिक विवाद में भी तब्दील हो गई है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आज के दौर में राजनीतिक विचारधाराएं पारिवारिक रिश्तों से भी ऊपर उठकर सामाजिक मूल्यों की लड़ाई लड़ रही हैं। जर्मन समाज के सामने अब यह सवाल है कि क्या वह ऐसी राजनीति को स्वीकार करेगा जो मानवीय गरिमा को तरजीह नहीं देती।

























