एटा (उत्तर प्रदेश), 25 अक्टूबर। एटा स्थित भीमराव अम्बेडकर संयुक्त जिला अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां व्हीलचेयर नहीं होने के कारण एक बीमार युवती के परिवार को उसे कंधे पर उठाकर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
घटना का विवरण:
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अस्पताल में व्हीलचेयर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं
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परिवार को बीमार युवती को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा
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मरीजों को दवाइयों और डॉक्टरों की कमी का सामना
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सरकारी विज्ञापनों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर
जनता की प्रतिक्रिया:
स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गुस्सा जताते हुए कहा कि अस्पतालों में न तो दवाइयां हैं, न डॉक्टर हैं और न ही व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधाएं, लेकिन सरकारी विज्ञापनों में सब कुछ “बिल्कुल ठीक” दिखाया जाता है।
राजनीतिक प्रभाव:
इस घटना ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक बहस को और गर्मा दिया है। लोगों का कहना है कि योगी सरकार जनता को इलाज उपलब्ध नहीं करा पाई, लेकिन आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता उन्हें जरूर “इलाज” देगी।
स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई:
यह घटना उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को एक बार फिर उजागर करती है। मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में संघर्ष करना पड़ रहा है।
वीडियो इटावा के भीमराव अंबेडकर संयुक्त जिला अस्पताल का है, जहां व्हीलचेयर न मिलने पर एक बीमार युवती को उसके परिजन कंधे पर उठाकर ले जाने को मजबूर हैं।
अस्पतालों में न दवाएं हैं, न डॉक्टर, न व्हीलचेयर लेकिन सरकार के विज्ञापनों में सब “चंगा सी” दिखाया जा रहा है।
योगी सरकार जनता को… pic.twitter.com/0F1yLPBYlC
— UP Congress (@INCUttarPradesh) October 22, 2025

























