पंजाब चुनाव के वो चेहरे जिन्होंने दिग्गज नेताओं को दी शिकस्त आम आदमी पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर जीत कर इतिहास बनाया है.

पंजाब विधानसभा चुनावों के परिणामों ने प्रदेश की राजनीति में 60 साल का रिकार्ड तोड़ दिया. पहली बार किसी पार्टी को 90 से ज्यादा सीटें मिली हैं. वो भी एक ऐसी पार्टी को जो दूसरी बार प्रदेश में चुनाव लड़ी हो. आम आदमी पार्टी जो साल 2012 में बनी, मात्र 10 साल में पार्टी ने दो राज्यों में सरकार बना ली. पंजाब में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. इससे पहले 1962 में कांग्रेस पार्टी को 154 सीटों में से 90 सीटें मिली थीं.

आम आदमी पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की. पांच साल सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी 18 सीटों पर ही सिमट गई वहीं अकाली दल जिसकी कई बार राज्य में सरकार रही उसे सिर्फ तीन सीटों से संतोष करना पड़ा.‘आप’ की इस जीत में कई ऐसे उम्मीदवार भी पहली बार विधायक बने जो बेहद की सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं. वहीं कुछ ऐसे नेता हैं जिन्होंने प्रदेश की राजनीति के बड़े-बड़े नेताओं को हरा कर इतिहास रच दिया.

आम आदमी पार्टी को इन चुनावों में 42.01 प्रतिशत वोट मिला है. जबकि 2017 के चुनावों में पार्टी को 23.7 प्रतिशत वोट मिला था. यानी की पार्टी के वोट प्रतिशत में लगभग दो गुने का इजाफा हुआ है. 92 सीटों के साथ विधानसभा में आप का सीट शेयर 78.6 प्रतिशत हो गया है. वहीं कांग्रेस का सीट शेयर विधानसभा में मात्र 15.4 प्रतिशत रह गया है.

प्रदेश की राजनीति के शीर्ष नेता हुए धराशायी

लंबी विधानसभा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में जयप्रकाश नारायण की जन्मतिथि पर आपातकाल को याद करते हुए प्रकाश सिंह बादल को देश का नेल्सन मंडेला बताते हुए कहा कि बादल को आजाद हिंदुस्तान में राजनीतिक कारणों से दो दशक तक जेल में रहना पड़ा, क्योंकि उनके विचार अलग थे. हालांकि उनके इस बयान पर काफी बवाल भी हुआ था, लेकिन प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक करियर बहुत लंबा है. वह राजनीति में पंचायत का चुनाव लड़कर आए थे. उसके बाद वह विधायक बने, सांसद बने, केंद्रीय मंत्री रहे और अंत में पंजाब के मुख्यमंत्री रहे. प्रकाश सिंह बादल पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 10 बार विधायक.

94 साल के प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर जिले के लंबी विधानसभा सीट से साल 1997 से विधायक थे. वह 12वीं बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे लेकिन इस बार वह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुड्डिया से चुनाव हार गए.

गुरमीत सिंह खुड्डिया पहली बार विधायक बने हैं. उन्होंने पांच बार के मुख्यमंत्री को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. खुड्डिया के पिता फरीदकोट से सांसद रहे हैं. आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पहले वह खुड्डिया शिअद (मान) में थे. बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.

वह कांग्रेस पार्टी के श्री मुक्तसर साहिब के जिलाध्यक्ष भी रहे. चुनाव से पहले जुलाई महीने में वह कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हो गए. प्रकाश सिंह बादल को चुनाव हराने के सवाल पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में गुरमीत सिंह कहते हैं, “लंबी की जनता ने उन्हें हराया है.”

वह आगे कहते हैं, कांग्रेस पार्टी और अकाली दल ने कई सालों तक राज किया है. यह पार्टियां किसी को आगे नहीं आने देतीं, अन्य कार्यकर्ता को मौका नहीं देती हैं. इसलिए जनता ने इस बार के चुनावों में इतने बड़े बहुमत से आम आदमी पार्टी को जिताया है.

 

भदौर विधानसभा: पंजाब के बरनाला जिले की भदौर विधानसभा सीट इस बार के चुनावों में हॉट सीट में से एक थी. क्योंकि इस बार यहां से पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव लड़ रहे थे. इस सीट पर मुख्यमंत्री के सामने गरीब परिवार से आने वाले 35 वर्षीय लाभ सिंह उगोके चुनाव लड़ रहे थे.

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भदौर और अपनी पारंपरिक सीट चमकौर साहिब से भी हार का सामना करना पड़ा. वह चमकौर साहिब सीट से आम आदमी पार्टी के डॉ चरणजीत सिंह से करीब 7942 वोटों से हार गए.

भदौर सीट से पहली बार चुनाव लड़ रहे लाभ सिंह ने चरणजीत सिंह चन्नी को 37558 वोटों से शिकस्त दी. 12वीं पास करने के बाद लाभ सिंह ने मोबाइल फोन रिपेयरिंग में डिप्लोमा कोर्स किया और अपने गांव में एक दुकान खोल दी. वह साल 2013 से ही आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं.

उगोके की मां बलदेव कौर गांव के सरकारी स्कूल में झाड़ू लगाने का काम करती हैं. लाभ सिंह के चुनाव जीतने के बाद भी वह स्कूल में झाड़ू लगा रही थीं. वह मीडिया से बातचीत में कहती हैं कि जब घर चलाना मजबूरी थी तो झाड़ू हमारे साथ थी और अब जब झाड़ू ने हमारे बेटे को विधानसभा चुनाव जीताकर पहचान दिलाई है, तो यह हमारे जीवन का हिस्सा रहेगा.

लाभ सिंह की पत्नी वीरपाल कौर सिलाई का काम करती हैं और उनके पिता दर्शन सिंह एक कैजुअल वर्कर और पार्ट-टाइम ट्रैक्टर ड्राइवर हैं. नामांकन करते समय उन्होंने अपनी संपत्ति के रूप में 75 हजार रुपए कैश और एक मोटरसाइकिल बताई थी.

मोहाली में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद मीटिंग के लिए पहुंचे लाभ सिंह मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि,चन्नी का भदौर से हारना तो तय था लेकिन लोगों ने जो इतनी बड़ी लीड दी है वह हमने कभी नहीं सोचा था. भदौर के लोगों ने हमेशा अच्छे लोगों को चुनने की कोशिश की है.

 

अमृतसर ईस्ट विधानसभा: पंजाब चुनावों में सबसे ज्यादा अगर चर्चा किसी दो नेता की थी तो वह थे, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के सीनियर लीडर बिक्रम सिंह मजीठिया. खास बात यह थी कि दोनों एक ही सीट अमृतसर ईस्ट विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे.

इन दोनों ही बड़े नेताओं को आम आदमी पार्टी की नेता जीवन ज्योत कौर ने हरा दिया. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं साथ ही उन्हें पंजाब में ‘पैड वुमन’ के नाम से भी जाना जाता है.

पीटीसी की खबर के मुताबिक, जीवन ज्योत कौर ने पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में और महिला कैदियों को प्लास्टिक के सैनिटरी पैड के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया. वो महिलाओं को दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले सैनिटरी पैड मुफ्त में उपलब्ध कराती हैं.

जीवन ज्योत कौर ने अमृतसर ईस्ट के विधायक और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को 6,750 वोटों के अंतर से हराया है. जीवन ज्योत कौर को 39,679 वोट मिले, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू को 32,929 वोट, वहीं बिक्रम सिंह मजीठिया तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 25,188 वोट मिले.

जीवन ज्योत साल 2015 में आम आदमी पार्टी में जुड़ी थीं. यह उनका पहला चुनाव था. वह अपनी जीत पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहती हैं, “यह जीत पंजाब के लोगों की जीत है, लोगों ने आम आदमी पार्टी को एक मौका देने के लिए मन बना लिया था.”

दो बड़े नेताओं के सामने चुनाव लड़ने के सवाल पर वह कहती हैं, जब हम लोगों से बात करते थे, तब हम कहते थे कि आप के विधानसभा से दो बड़े-बड़े हाथी लड़ रहे हैं. तब लोग कहते थे कि मैम हमें हाथी नहीं झाड़ू दिखता है.”

वह आगे कहती हैं कि दो बड़े नेता भले ही इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे लेकिन यह दोनों एक दूसरे को सिर्फ कोसते रहते थे, उनका अमृतसर ईस्ट विधानसभा क्षेत्र को लेकर कोई रोडमैप नहीं था. ऐसे में लोग समझ रहे थे कि यह दोनों आपस में ही लड़ रहे हैं इसलिए उन्होंने आम आदमी पार्टी को मौका दिया.

 

जलालाबाद विधानसभा: पंजाब के फाजिल्का जिले की जलालाबाद सीट पर सुखबीर बादल के चुनाव जीतने का चक्र इस बार के चुनावों में टूट गया. तीन बार से लगातार जीतते आ रहे सुखबीर सिंह बादल इस बार चुनाव नहीं जीत सके.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे और अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को इस बार आम आदमी पार्टी के जगदीप कंबोज गोल्डी ने 30 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. यह पहला चुनाव है जब सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल दोनों चुनाव हार गए.

जलालाबाद पिछले चुनाव में भी हॉट सीट थी क्योंकि साल 2017 में अभी के मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान, सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे लेकिन वह जीत नहीं सकें. जो काम भगवंत मान पिछले चुनावों में नहीं कर सके वह जगदीप कंबोज ने 2022 के चुनावों में कर दिखाया.

जगदीप कंबोज गोल्डी से पहले उनके पिता राजनीति में सक्रिय थे. कंबोज पेशे से वकील हैं, पूर्व में वह कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग से जुड़े थे. उन्होंने भी 20 साल पहले निर्दलीय जलालाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए. कांग्रेस पार्टी में लंबे समय तक काम करने वाले कंबोज को जब 2019 उपचुनाव में टिकट नहीं मिला तो वह बागी होकर निर्दलीय लड़े और चौथे स्थान पर रहे.

आप विधायक जगदीप कंबोज के जीतने पर पाकिस्तान में कुछ जगह पर जश्न मनाया गया. इस पर गोल्डी कहते हैं कि पाकिस्तान में कंबोज बिरादरी के लोग बहुत हैं, शायद इसलिए उनकी खुशी में वहां लड्डू बांटे गए हैं.

अपनी जीत पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में जगदीप कहते हैं, “मेरी जीत जलालाबाद की जनता की जीत है. क्षेत्र में ऐसा काम होगा कि लोग याद रखेंगे.”

जगदीप आगे कहते हैं कि जलालाबाद काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. इतने साल विधायक रहने के बावजूद सुखबीर सिंह बादल ने काम नहीं किया.बॉर्डर इलाका होने के कारण कई परेशानियां हैं, लेकिन हम अपने सभी वादों पर खरा उतरेगें.

गौरतलब है कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को हराने वाले दोनों ही नेता कांग्रेस से आए हुए हैं. दोनों ने कई सालों तक कांग्रेस पार्टी में काम किया लेकिन विधायक वह आम आदमी पार्टी से बने.

लहरा विधानसभा: संगरूर जिले की लहरा विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बरिंदर गोयल ने अकाली दल (सयुंक्त) के उम्मीदवार और पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढिंडसा को 26 हजार से अधिक वोटों से हराया. साल 2017 में परमिंदर सिंह यहां से विधायक चुने गए थे.

बरिंदर गोयल ने न सिर्फ पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह को हराया बल्कि उन्होंने पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और लहरा से पांच बार की विधायक रजिंदर कौर भट्टल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के पूर्व अध्यक्ष गाेबिंद सिंह लोंगोवाल जैसे बड़े नेताओं को हराया है.

पिछले करीब 30 सालों से सामाजिक काम कर रहे गोयल ने परमिंदर सिंह ढिंडसा को 26528 वोटों से हराया. उन्हें कुल 60068 वोट मिले, वहीं परमिंदर सिंह ढिंडसा को 33540 वोट मिले. जबकि तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी रही जिसे 20450 वोट मिले.

न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बरिंदर गोयल कहते हैं, “हमारा इलाका पिछड़ा हुआ है. इसलिए शिक्षा और मेडिकल क्षेत्र में काम करके इसे पिछड़े इलाके के तमगे से निकालेंगे.”

वह आगे कहते हैं कि हमारे इलाके में बहुत सी समस्याएं हैं. जिन्हें दूर करना मेरी पहली प्रथामिकता है. इतने सालों तक काम नहीं करने के कारण ही जनता ने इतने बड़े-बड़े दिग्गजों को हरा दिया.

गोयल कहते हैं, ”लोगों की बहुत उम्मीदें हैं मैं वह टूटने नहीं दूंगा.”

बता दें कि लहरा विधानसभा सीट के साथ ही संगरूर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है.

आम आदमी पार्टी की इस ऐतिहासिक जीत में कई ऐसे चेहरे विधानसभा में चुनकर आए हैं जो बेहद की सामान्य पृष्टभूमि से आते हैं. पंजाब की जनता ने बड़ी उम्मीदों से इन आम नेताओं को चुना है, अब देखना होगा कि यह विधायक जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं.

 

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Author: Jantak khabar